ये है मेरी जिंदगानी

कुदरत के आंचल में पैदा हुआ, पहाड़ों में पला बढ़ा, नदियों ने दी जिंदगी को रफ्तार, चिड़ियों की चहचाहट ने सिखाया मुस्कुराना, देवभूमि उत्तराखंड की गोद में सीखे संस्कार, शायद यही है वजह कि,,,, झकझोर देता है मुझे कुदरत का दर्द,, और कसमसा उठता हूं मैं.. देश के कई कोनों ने दिए खट्टे मीठे अनुभव, उन्ही का इस्तेमाल कर अपनो के बेगाने शहर दिल्ली में, अपनी जमीन तलाशने की कोशिश कर रहा हूं. और पेशे से एक नवोदित पत्रकार हूं.

Thursday, May 15, 2008

क्या आपको नही झकझोरती हैं बाते

सड़क पर हुआ एक हादसा हमें झकझोर कर रख देता है।
लेकिन कुछ बेजुबान जानवरो की निर्मम हत्या हम पर कोई असर नही डालती है।
किसी की भी लाश हमारी आंखो में आंसू ला देती है मगर वहीं दूसरी ओर कटे हुए पेड़ो का दर्द हमें महसूस नही होता। फटेहाल बच्चे हमारे मन में दया पैदा तो करते हैं, लेकिन वहीं उजाड़ दी गई धरती का दर्द हमें महसूस नही होता।

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